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Saturday, November 22, 2014

मैंने कभी ज़िद तो नहीं


मैंने कभी ज़िद तो नहीं की पर आज शब
ऐ महज़बीं न जा कि तबीयत उदास है ।

*शब=रात; महज़बीं=चाँद जैसे माथे वाली प्रेयसी

~ 'अदम'

   Nov 10, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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