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Saturday, November 22, 2014

सर में रहता है एक फ़िक्र



सर में रहता है एक फ़िक्र जो मुझे जीने नहीं देता
दिल में रहता है एक इश्क जो मुझे मरने नहीं देता

फ़िक्र-ए -फ़रोद , सूद-ओ-जिआं, सताए है मुझे हर रोज़
तबील शब् में याद-ए-रफ़्तगा मुझे सोने नहीं देती
*फ़िक्र-ए-फ़रोद=पतन का खयाल; सूद-ओ-जिआं=मूल और ब्याज़; तबील शब्=गहरी रात; याद-ए-रफ़्तगा=कल की यादें

तेरे हुस्न की रानाइयां खीचे है मुझे तेरे सिम्त
ये आवारगी मेरी कहीं मुझे ठहरने नहीं देती
*रानाइयां=शरारतें[ सिम्त=पास

साकी तेरी बज़्म में मिलती रिन्दों को शराब मुफ्त
और तू मेरी हिस्से का भी मुझे पीने नही देती
*रिन्दों=पियक्कड़ों

फिरता हूँ कु ब कु लिए एक बहर पसे चस्म
पिन्दार-ओ-अना कभी मुझे रोने नहीं देता
*कु ब कु=गली दर गली; बहर पसे चस्म=आंखों का सागर; पिन्दार=सम्मान

नियाज़-ओ-इश्क का सौदा है सर की बुलंदी पे सवार
तल्ख़-ओ-तगाफुल इसे मुज़्तरिब उतरने नहीं देती
*नियाज़-ओ-इश्क=इश्क़ की तमन्ना; सौदा=पागलपन; तल्ख़-ओ-तगाफुल=कड़वाहट

~ 'मुज़्तरिब'

   Nov 16, 2013

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