आस उस दर से टूटती ही नहीं,
जाके देखा, न जाके देख लिया।
~ फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’
Jun 24, 2014 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
जाके देखा, न जाके देख लिया।
~ फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’
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