Disable Copy Text

Friday, November 21, 2014

मसलहत चाहती है कि

मसलहत चाहती है कि मंज़िल मिले
और दिल ढूंढता है, कोई कारवाँ ।

*मसलहत=समझदारी

~ बशीर बद्र
   Nov 19, 2013

No comments:

Post a Comment