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Saturday, November 22, 2014

जन्नत से कम सही

जन्नत से कम सही मगर अच्छा था मयकदा
जब तक वहाँ रहे, ग़मे-फ़र्दा तो कुछ न था ।

*ग़मे-फ़र्दा=कल या भविष्य की चिंता

~ रियाज़ ख़ैराबादी

   Oct 31, 2013 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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