जन्नत से कम सही मगर अच्छा था मयकदा
जब तक वहाँ रहे, ग़मे-फ़र्दा तो कुछ न था ।
*ग़मे-फ़र्दा=कल या भविष्य की चिंता
~ रियाज़ ख़ैराबादी
जब तक वहाँ रहे, ग़मे-फ़र्दा तो कुछ न था ।
*ग़मे-फ़र्दा=कल या भविष्य की चिंता
~ रियाज़ ख़ैराबादी
Oct 31, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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