
किसको पता था पहलू में रक्खा
दिल ऐसा पाजी भी होगा
हम तो हमेशा समझते थे कोई
हम जैसा हाजी ही होगा
आये जोर करे, कितना शोर करे
बेवज़ह बातों पे बेमतलब गौर करें
दिल के बिन जीना, जीना नहीं
पर दिल सा कोई कमीना नहीं
कोई तो रोके, कोई तो टोके
इस उम्र में अब खाएँ धोखे
डर लगता है इश्क करने में जी
दिल तो बच्चा है जी !
~ गुलज़ार
Feb 27, 2015 | e-kavya.blogspot.comAshok Singh
No comments:
Post a Comment