
भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा
सबसे छुपकर वो किसी का देखना अच्छा लगा
सुरमई आँखों के नीचे फूल से खिलने लगे
कहते कहते कुछ किसी का सोचना अच्छा लगा
दिल में कितने अहद बाँधे थे भुलाने के लिये
वो मिला तो सब इरादे तोड़ना अच्छा लगा
*अहद=प्रतिज्ञा या वचन
दुश्मन-ए-जाँ है पर 'अमजद' मैं बुरा कैसे कहूँ
जब भी आया सामने वो बेवफ़ा अच्छा लगा
~ अमज़द इस्लाम अमज़द
Mar 9, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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