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Thursday, March 5, 2015

जब फागुन रंग झमकते हों




जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की

परियों के रंग दमकते हों
ख़ुम शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे में छकते हों
जब फागुन रंग झमकते हों
*ख़ुम =शराब का मटका

नाच रंगीली परियों का
कुछ भीगी तानें होली की
कुछ तबले खड़कें रंग भरे
कुछ घुँघरू ताल छनकते हों
जब फागुन रंग झमकते हों

मुँह लाल गुलाबी आँखें हों
और हाथों में पिचकारी हो
उस रंग भरी पिचकारी को
अँगिया पर तक के मारी हो
सीनों से रंग ढलकते हों
तब देख बहारें होली की

जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की

~ नज़ीर अक़बराबादी

   Mar 05, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

1 comment:

  1. जब फागुन रंग झमकते हों
    https://www.youtube.com/watch?v=SwG4jMEWAVc

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