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Thursday, March 19, 2015

जब खोने को कुछ पास भी था

जब खोने को कुछ पास भी था तब पाने का कुछ ध्यान न था
अब सोचते हो, क्यूँ सोचते हो, क्या खोया है - क्या पाया है

~ सहर अंसारी
   March 18, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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