
चुपके चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई
मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना भूल गई
पहले शायद उसको मेरे चेहरे का अंदाज़ ना था
मुझसे आँखें टकराईं तो खुद पे मरना भूल गई
सच पूछो तो मेरी वजह से उसको ऐसा रोग लगा
काजल मेहंदी कंगन बिंदिया से वो सजना भूल गई
क्या जाने कब उससे मिलने आ जाऊं इस ख्वाहिश में
छत पर बैठी रहती है वो छत से उतरना भूल गई
~ जमील मुजाहिद
Mar 7, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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