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Monday, March 30, 2015

चुपके चुपके सखियों से वो




चुपके चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई
मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना भूल गई

पहले शायद उसको मेरे चेहरे का अंदाज़ ना था
मुझसे आँखें टकराईं तो खुद पे मरना भूल गई

सच पूछो तो मेरी वजह से उसको ऐसा रोग लगा
काजल मेहंदी कंगन बिंदिया से वो सजना भूल गई

क्या जाने कब उससे मिलने आ जाऊं इस ख्वाहिश में
छत पर बैठी रहती है वो छत से उतरना भूल गई

~ जमील मुजाहिद


   Mar 7, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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