ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही
तेरे बगै़र कोई आसरा नहीं, न सही
*ना-ख़ुदा= नाविक
तेरी तलब का तक़ाज़ा है ज़िन्दगी मेरी
तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही
*तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत
तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है
अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही
*इल्तिजा=प्रार्थना
तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ
अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही
*बारगाह=कचहरी
नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के
वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही
* मावरा=परे
~ अहमद नदीम क़ासमी
Jun 10, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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