Disable Copy Text

Wednesday, November 26, 2014

ख़ुदा नहीं, न सही



ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही
तेरे बगै़र कोई आसरा नहीं, न सही
*ना-ख़ुदा= नाविक

तेरी तलब का तक़ाज़ा है ज़िन्दगी मेरी
तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही
*तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत

तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है
अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही
*इल्तिजा=प्रार्थना

तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ
अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही
*बारगाह=कचहरी

नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के
वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही
* मावरा=परे

~ अहमद नदीम क़ासमी


  Jun 10, 2013 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment