किनसे रक्खें आस रे जोगी
टूटा हर विश्वास रे जोगी
पतझर से डरता है काहे
आयेगा मधुमास रे जोगी
जीत ले सबका दिल बढ़ कर के
बन जा खासमख़ास रे जोगी
रोती है ये सारी नगरी
कौन चला बनवास रे जोगी
तोते को सोने का पिंजरा
आता है क्यों रास रे जोगी
प्यार से मिट जाती है दूरी
आयें बैरी पास रे जोगी
मत रोना , होता आया है
सच का तो उपहास रे जोगी
ये तो प्रेम-पियाला पंकज
इसमें है बस प्यास रे जोगी
~ गिरीश पंकज
Nov 21, 2013
No comments:
Post a Comment