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Friday, November 21, 2014

और काँटों को लहू किसने



और काँटों को लहू किसने पिलाया होगा
हम-सा दीवाना चमन में कोई आया होगा

बेसबब कोई उलझता है भला कब किससे
तुमने गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा

जुज़ हमारे ऐ सुलगती हुई तन्हाई तुझे
ऐसे सीने से भला किसने लगाया होगा
*जुज़ हमारे=हमारे सिवा

कोई आया है न ‘शहज़ाद’ कोई आएगा
वहम ने याद के पर्दों को हिलाया होगा

~ फ़रहत शहज़ाद

   Nov. 29, 2013

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