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Friday, November 21, 2014

ये भी क्या एहसान कम हैं



ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये न आप का
हो रहा है हर तरफ़ चर्चा हमारा आप का ।

चाँद में तो दाग़ है पर आप में वो भी नहीं
चौदहवीं के चाँद से बढ़ कर है चेहरा आप का ।

इश्क़ में ऐसे भी हम डूबे हुए हैं आप के
अपने चेहरे पे सदा होता हैं धोखा आप का ।

चाँद सूरज धूप सुबह कहकशाँ तारे शमा
हर उजाले ने चुराया है उजाला आप का ।

~ वाजिदा तबस्सुम

   Dec 17, 2014

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