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Friday, November 21, 2014

रह गए आंसू, नैन बिछाए



रह गए आंसू, नैन बिछाए
घन आए घनश्याम न आए

दिल तो जैसे तैसे संभला
रूह की पीड़ा कौन मिटाए

मोर मयूरी नाच चुके सब
रो रो सावन बीता जाए

पीली पड़ गई हरियाली भी
धानी आँचल सरका जाए

देख के उनको हाल अजब है
प्यास बुझे और प्यास न जाए

हुस्न का साक़ी प्यार के सागर
‘तर्ज़’ पिए और गिर गिर जाए

~ गणेश बिहारी ‘तर्ज़’

   Nov. 25, 2013

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